इस पोस्ट मे हम बाकला या बकलोरी फली की खेती एवं इसकी किस्म के बारे मे जानेंगे –
बुआई का समय
रबी में – 1 सितंबर से 30 नवंबर के बीच बुआई का समय
जायद में – 1 फ़रवरी से 31 मार्च के बीच
तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई
बाकला की फसल के लिए दोमट मिट्टी से हल्की चिकनी मिट्टी अच्छी मानी जाती है। रेतीली और अम्लीय तथा क्षारीय जमीन पर इसकी खेती नहीं करनी चाहिए। फसल में अच्छे जमाव के लिए 20-22 ° सैंटीग्रेड तापक्रम होना चाहिए।
बाकला की फसल के लिए मिटटी का पी.एच.मान 6.5 से 7.5 तक होना चाहिए। खेत की 1 बार जुताई करके पलेवा कर दे। इसके 6 से 7 दिन बाद खेत की 2 से 3 बार गहरी जुताई करके पट्टा फेर दे।
बाकला की उन्नत किस्में ( Varieties )
लम्बी फलियों वाली किस्मे – इम्पीरियल वाइट , लांग पाड़ , रेड एपिक्योर
विन्डसर टाइप – इम्पीरियल वाइट , विन्डसर , जॉइन्ट फॉर सीडेड ग्रीन विन्डसर
बीज उपचार
बाकला का बीज उपचार करने के लिए Tebuconazole 25.9 % EC 1 मिली 1 किलोग्राम बीज की दर से बीज उपचार के लिए प्रयोग करें।
बीज की मात्रा
बाकला की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 35 से 40 किलोग्राम बीज की जरुरत होती है।
बुआई का तरीका
बाकला की फसल बुवाई के समय लाइन से लाइन की दूरी 45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी रखे। बीज को 2.5 से 3 सेमी की गहराई पर बोए।
उर्वरक व खाद प्रबंधन – बकलोरी फली की खेती
बाकला की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 8 टन गोबर की खाद खेत में बुवाई से 1 हफ्ते पहले मिला दे। फसल बुवाई के समय 1 एकड़ खेत में 10 किलोग्राम यूरिया , 25 किलोग्राम डी ए पी , 25 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल करे।
फसल बुवाई के 30 दिन बाद 1 एकड़ खेत में 20 किलोग्राम यूरिया खाद का इस्तेमाल करे।
बाकला की सिंचाई
बाकला की फसल बुवाई के समय खेत में नमी बनाए रखे । फसल में नमी के अनुसार 10 से 15 दिन पर सिंचाई करते रहे।
बाकला फली की तुड़ाई
फसल में 3 महीने बाद फलियों की तुड़ाई शुरू हो जाती है। फल के आकार के अनुसार फलियों की तुड़ाई करते रहे।
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