इंदौर मे आयी 3 फीट की गाय जाने क्या है खास बात

इन दिनों इंदौर में एक 3 फीट की गाय जो की आकर्षण का केंद्र बन गई है। इसकी खास बात यह है की यह गाय बकरी के बराबर की हाइट वाली यह दुनिया की सबसे छोटी गाय है। इस प्रजाति की मध्यप्रदेश आने वाली संभवत: पहली गाय है।

8 से 25 लाख रुपए तक कीमत वाली इस गाय की नस्ल का बछड़ा भी लाए हैं। जी हां, एक गोपालक इसे आंध्र प्रदेश से इंदौर लाए हैं।

दुनियाभर में मशहूर देश के प्रसिद्ध तिरूपति में भगवान तिरूपति बालाजी का अभिषेक और प्रसाद इसी नस्ल के दूध से होता रहा है। तो शुरू करते हैं इस खूबसूरत, चंचल और आकर्षित करने वाली गाय की कहानी…

देश भर में महज 1000 पुंगनूर गाय ही बचीं

ये देश में विलुप्त होती नस्लों में शामिल पुंगनूर गाय का जोड़ा है। इस गाय की अधिकतम हाइट 3 फीट होती है। यह दुनिया की सबसे छोटी गाय में शुमार है।

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के गंगनूर में पाली जाती हैं, वहीं से इसे खरीदकर इंदौर में गाय पालने की शौकीन सत्तू शर्मा (पहलवान) लाए हैं।

उन्होंने मोलभाव कर इस जोड़े के लिए सात लाख रुपए अदा किए। ये जोड़ा 1800 किलोमीटर का सफर करके 8 दिन में इंदौर लाया गया।

आते ही दोनों का नामकरण किया गया

यहां आते ही दोनों का नामकरण कर दिया। गाय का नाम रखा गंगा और मेल बछड़े का शंभू…। सत्तू शर्मा का दावा है कि मध्यप्रदेश में पुंगनूर नस्ल का यह पहला जोड़ा है।

देश में इन गायों की संख्या सिर्फ 1000 के आसपास ही रह गई है।

इस गाय को लाने वाले व्यक्ति कौन है ?

सत्तू शर्मा का परिवार इंदौर में 100 साल से ज्यादा वक्त से दूध बेच रहा है। क्लॉथ मार्केट के पास उनकी गोवर्धन महादेव शर्मा दूधवाले के नाम से दुकान है।

उन्होंने पुंगनूर गाय को लंबे समय से सुन रखा था। अब जाकर आंध्र प्रदेश में तलाश पूरी हुई है। बता दें कि सत्तू ने खेत पर गोशाला जैसा बाड़ा बना रखा है।

इनके पास गिर नस्ल की 10-11 गाय, 8 साहीवाल, 5 रेंडी, 6 होस्टल, 10-12 जर्सी गाय के अलावा देशी-मालवी मिलाकर 50 से ज्यादा गायें हैं। 54 साल के सत्तू गायों के साथ डॉग पालने का शौक रखते हैं।

गायों का दूध बछड़ों को ही पिला देते हैं

दूध का कारोबार होने के बावजूद शर्मा अपनी गोशला में पाली हुई गायों का दूध बेचते नहीं हैं। कारोबार के लिए उन्होंने आसपास के कई गांवों का दूध बांध रखा है।

सत्तू शर्मा बताते हैं कि – उनकी गोशला में मौजूद गायों से 60 से 65 लीटर दूध रोज दुहते हैं। इस दूध को घर पर ही उपयोग करते हैं या कर्मचारियों को दे देते हैं।

बाकी दूध गायों और उनके बछड़ों को ही पोषाहार में मिलाकर पिला देते हैं। घर में उन्होंने अमेरिका से लाई पिटबुल नस्ल की फीमेल और ऑस्ट्रेलियन लेब्राडोर डॉग को पाल रखा है।

इसके अलावा उन्होंने खेतों पर जर्मन शेफर्ड, ग्रेट डेन, अलसेशियन नस्ल के डॉग्स हैं।

सभी लोग लेते है आशीर्वाद

इन गायों को रखने के लिए अलग व्यवस्था की गई है। सुबह के वक्त ही वे थोड़ी देर के लिए इन्हें बाहर निकालते हैं, बाकी वक्त ये अंदर ही रहती हैं।

इस दौरान जो भी इन गायों को देखता, वह इनके बारे में बात करने आ जाता है। यहां तक कई महिलाएं भी गाड़ी रोककर इनका फोटो लेने आ जाती हैं।

कई लोग ऐसे हैं, जो इन गायों का आशीर्वाद लेने आते हैं।

गायों को ठंड से बचाने के लिए पूरा इंतजाम

सत्तू शर्मा ने बताया कि – सर्दियों में गायों का विशेष रूप से ध्यान रखा जा रहा है। इन दो महीने गायों का बच्चों के जैसा ध्यान रखा जाएगा। फिलहाल, गायों को उन्होंने दुकान में रखा है।

वहां उनके लिए हीटर की भी व्यवस्था की गई है और लाइटिंग भी की गई है। क्योंकि मंगलवार से इंदौर में ठंड बढ़ गई है, इसलिए इनका खास ख्याल रखा जा रहा है।

ऐसे लाए आंध्र से 1800 किमी दूर इंदौर

गायों को आंध्र प्रदेश से इंदौर लाने का संघर्ष भी दिलचस्प है। 28 नवंबर को सत्तू यहां से हैदराबाद के पास गंगनूर गांव पहुंचे।

वहां हैदराबाद में रहने वाले उनके रिश्तेदार ने इसे पसंद कर खरीद रखा था। गंगा और शंभू को इंदौर लाने के लिए पिकअप गाड़ी से पांच दिन तक सफर किया है।

7 दिसंबर को इंदौर लौटे

चार से पांच दिन के सफर में रोजाना सुबह 9 बजे वे गायों को खाना खिलाकर पिकअप पर चढ़ाते और शाम 5 बजे वापस रुक जाते।

इसके बाद गायों को खुले मैदान में घुमाया जाता था, उन्हें खाने को दिया जाता।

मध्यप्रदेश में सिर्फ एक पुंगनूर नस्ल की गाय

सत्तू शर्मा का दावा है कि – मध्यप्रदेश में सिर्फ उनके पास ही पुंगनूर नस्ल की गाय है। इसके अलावा, उन्हें किसी और के पास इन गायों के होने की जानकारी नहीं है।

जब से गाय उनके पास आई है, चर्चा का विषय बन गई है, आसपास के लोग भी इन गायों को देखने आ रहे हैं।

उन्होंने गाय को रखने के लिए एक दुकान भी ले रखी है, जहां चारे-पानी की व्यवस्था के साथ ही ठंड से बचाने के लिए हैवी लाइट लगवा दी है।

गाय की हाइट इतनी कम है कि इसके केयर टेकर उन्हें गोद में ही उठा लेते हैं।

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