कई बार ऐसा होता है की किसान अपने खेत की मिट्टी को समझ नहीं पाता है, और दूसरों के द्वारा जो खाद बता दिया जाता है, वह खाद अपने खेतों में डाल देते है। किसान को इस बारे में बिल्कुल भी पता नहीं होता है, कि उसे अपने खेतों में कब और क्या डालना है।
किसान दूसरों के द्वारा बताई गई जानकारी के अनुसार कभी भी कुछ भी अपनी फसलों में डाल देता है, जिससे कि फसलों को बहुत नुकसान होता है।
DAP तथा NPK में क्या अंतर है ?
कई किसानों को तो डी.ए.पी.(DAP) तथा एन.पी.के. (NPK) में अंतर भी नहीं पता होता है, फसल में कौन सी चीज ज्यादा आवश्यक है, और कौन सी नहीं है।
तो उससे संबंधित आज सभी जानकारी हम इस पोस्ट के माध्यम से आपके लिए लाए हैं, अतः आपको इस पोस्ट को अंत तक ध्यान से पढ़ना होगा जिससे कि आप भी इन दोनों खादो में अंतर समझ सके और इनका सही तरीके से प्रयोग कर सके।
डी.ए.पी.(DAP) खाद क्या है?
DAP खाद एक ऐसी खाद है, जिसका अगर आप प्रयोग करते हैं, तो इससे फसलों को 2 प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं, इसमें 18 % नाइट्रोजन और 46 % फास्फोरस मिलता है।
इस खाद की खोज 1960 में की गई थी तब से लेकर अब तक इस खाद का प्रयोग किया जाता है। आइए जानते हैं, यह खाद किन-किन तत्व से बना होता है….
DAP में 18% नाइट्रोजन होता है, जिसमें 15.5 प्रतिशत अमोनियम नाइट्रेट होता है, तथा 46% फास्फोरस होता है, जिसमें से 5 % का फास्फोरस पानी में घुलनशील होता है।
डीएपी खाद कैसे बनता है?
DAP को अमोनियम के साथ फासफेरिक एसिड के साथ एक वैज्ञानिक प्रक्रिया के द्वारा इसे तैयार किया जाता है।
लगभग 1000 Kg DAP बनाने में 15 से 2000 Kg फास्फेट, रॉक और 400 kg सल्फर के साथ 200 kg अमोनिया का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार आप एक अच्छा डीएपी खाद बना सकते हैं।
डीएपी खाद के उपयोग –
डीएपी खाद का उपयोग धान की फसल में कल्ले बढ़ाने में बहुत आवश्यक होता है, इसके अलावा भी सभी फसलों के लिए यह जरूरी है….
पौधों को अपने संपूर्ण काल में 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिसमें नाइट्रोजन और फास्फोरस होते हैं। डीएपी खाद मिट्टी में मिल कर पानी कि उपस्थिति में मिट्टी में घुल जाती है, और पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है।
डीएपी खाद फसलों की जड़ों का विकास करती है, जैसे आपने कोई फसल बोई है और उसमें यह खाद डाली है तो यह खाद पौधों की जड़ों एवं कोशिकाओं का विभाजन करता है। जैसे किसी पौधे की शाखाएं बढ़ रही है तो यह उस पौधे की जड़ों को मजबूती प्रदान करता है।
जैसा कि आप जानते हैं, आमतौर पर फसले 130 से 140 दिनों की होती है, ऐसे में DAP 120 दिनों तक अच्छा कार्य कर सकती है। ऐसे में अगर आप किसी फसल में एक बार यह डाल देते हैं, तो आपको दोबारा से डालने की आवश्यकता नहीं होती है।
एन.पी.के.(NPK) खाद क्या है?
पौधों में अक्सर दो तरह के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जैसे Macro Nutrients जो कि पौधों को अधिक मात्रा में चाहिए होता है, और दूसरा Micro Netrients वह जो पौधों को काफी कम मात्रा में आवश्यक होते हैं।
NPK का मतलब क्या है ?
- N का मतलब – नाइट्रोजन जो कि पौधे के हरे भाग यानी पत्तियों के विकास के लिए आवश्यक होता है।
- P का मतलब – फास्फोरस जो पौधे के फल और फूल बनने के लिए आवश्यक होता है।
- K का मतलब – पोटेशियम जो पौधे के जड़ तना के विकास के लिए आवश्यक होता है।
इस प्रकार NPK खाद पौधे के विकास के लिए आवश्यक होता है।
एनपीके की कमी से क्या होता है ?
NPK खाद की कमी से पौधों का विकास रुक जाता है, जिससे पौधों की पत्तियां पीली पड़ जाती है और उनके फूल एवं फल का भी विकास रुक जाता है तथा उनका तना कमजोर होकर मुरझा जाता है।
ऐसी स्थिति में आपकी फसलों को NPK खाद की बहुत आवश्यकता होती है, जिससे कि उन्हें वे सभी पोषक तत्व मिल सके जो उन्हें आवश्यक हो।
NPK का Ratio क्या है?
एनपीके के ratio के द्वारा हम पता कर सकते हैं, कि आपके खाद में कितने प्रतिशत कौन से तत्व हैं, जो कि आप की फसलों के लिए आवश्यक एवं सही है।
1-1-1 Ratio का मतलब –
आपके खाद में नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटेशियम तीनों ही बराबर मात्रा में इस तरह के खाद का उपयोग आप सभी पौधों के विकास के लिए कर सकते हैं।
1-2-1 Ratio का मतलब
आपके खाद में नाइट्रोजन और पोटेशियम बराबर मात्रा में तथा फास्फोरस थोड़ी सी अधिक मात्रा में उपलब्ध हो जिससे कि पौधों की जड़ों के विकास के लिए यह उपयुक्त माना गया है।
फूल एवं फलों के विकास के लिए 1-2-2 या 1-1-2 का Ratio होना चाहिए।
पतियों के विकास के लिए 2-1-1 या 3-1-1 का Ratio होना चाहिए।
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं हमने आपको डीएपी और एनपीके दोनों से संबंधित जानकारी उपलब्ध करवा दी है। जिससे कि आप इन दोनों में आने वाले अंतर को देख सकते हैं, और आप की फसल के लिए ज्यादा अच्छा कौन सा खाद है उसका चयन कर सकते हैं।
डीएपी एवं एनपीके दोनों ही खाद अच्छे हैं, यह सिर्फ आपके खेत की मिट्टी के ऊपर निर्भर करता है कि उसे किस खाद की आवश्यकता कितनी मात्रा में है।
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