भारत सरकार का PMPRANAM कार्यक्रम: जानें इसका महत्व और उद्देश्य 

भारत सरकार ने PMPRANAM कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य धरती माता की पुनर्स्थापना, जागरूकता सृजन, पोषण और सुधार के लिए है, PMPRANAM की घोषणा पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में की गई।

धरती माता ने हमेशा मानव जाति को जीविका के प्रचुर स्रोत प्रदान किए हैं, खेती के अधिक प्राकृतिक तरीकों की ओर वापस जाना और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित/टिकाऊ उपयोग को बढ़ावा देना समय की मांग है।

प्राकृतिक/जैविक खेती, वैकल्पिक उर्वरकों और नैनो उर्वरक जैसे नवाचारों को बढ़ावा देने से धरती माता की उर्वरता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है, वैकल्पिक उर्वरकों और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

गोबरधन संयंत्रों से जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए बाजार विकास सहायता (एमडीए) योजना को मंजूरी दी गई है, गोबरधन पहल के तहत गैस संयंत्र/संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र स्थापित किए गए हैं।

जैविक उर्वरकों को ब्रांड किया जाएगा और उनके नाम FOM, LFOM और PROM होंगे, यह पहल पराली जलाने की समस्याओं से निपटने में मदद करेगी।

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने से मिट्टी का स्वास्थ्य बहाल होगा, किसानों के लिए इनपुट लागत कम होगी और आय का अतिरिक्त स्रोत मिलेगा।

425 केवीके ने प्राकृतिक कृषि पद्धतियों का प्रदर्शन किया है, 6.80 लाख किसानों को शामिल करते हुए 6,777 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।

शैक्षणिक सत्र जुलाई-अगस्त 2023 से लागू होने वाले बीएससी के साथ-साथ एमएससी कार्यक्रमों के लिए प्राकृतिक खेती के लिए पाठ्यक्रम विकसित किया गया है, PMPRANAM कार्यक्रम के तहत 500 नए वेस्ट टू वेल्थ प्लांट स्थापित किए जाएंगे।

प्राकृतिक खेती विधियों को अधिक प्रचारित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, प्राकृतिक/जैविक खेती से भारतीय किसानों को सस्ती जैविक खाद मिलेगी।

वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग से खेती के प्रदर्शन में सुधार हो सकता है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद मिलेगी, प्राकृतिक खेती के पाठ्यक्रमों के विकास से किसानों को नवीनतम तकनीकों और अद्यतनित ज्ञान का लाभ मिलेगा।

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