काजू की खेती: लखपति ही नहीं करोड़पति भी बन जाएंगे 

 काजू के पेड़ की खेती भारत में विभिन्न राज्यों में की जाती है, भारत में काजू की खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी होनी चाहिए।

काजू के पेड़ को ग्राफ्टिंग विधि से तैयार किया जाता है, काजू का पेड़ लगाने के बाद उसका फल देने में 2-3 साल का समय लगता है।

काजू के पेड़ के फूल पीले और लाल रंग के होते हैं, काजू के फल की अवधि गर्मियों में लगभग 2-3 महीने होती है।

काजू का फल हिरनी की शकल में होता है और इसके ऊपर दो कटोरे होते हैं, काजू के फल में एक हिस्सा कच्चा और एक हिस्सा पका होता है।

काजू के फल को पकने के बाद उसका रंग हरा या लाल हो जाता है, काजू का फल खाद्य पदार्थ के रूप में और ड्राई फ्रूट के रूप में उपयोग होता है।

काजू के फल का बीज निकालकर औषधीय उपयोग किया जाता है, काजू के फल में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, एंटीऑक्सिडेंट्स आदि पाए जाते हैं।

 काजू के फल का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है, काजू के फल में प्राकृतिक तेल पाया जाता है जो त्वचा के लिए उपयोगी होता है।

काजू के पेड़ से निकलने वाली राल का उद्योग में उपयोग होता है, काजू के पेड़ की छाल और बीज का उपयोग आदिवासी औषधि में किया जाता है।

काजू की खेती में वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है, काजू की खेती में किटनाशक और कीटनाशी उपयोग किए जाते हैं ताकि उत्पादन को कीटों से सुरक्षा मिले।

काजू की खेती कार्यक्रमों और सरकारी योजनाओं के तहत प्रोत्साहित की जाती है, काजू की खेती व्यापारिक रूप से महत्वपूर्ण है और इससे किसानों को आर्थिक रूप से लाभ प्राप्त होता है।

काली गाजर की खेती मार्केट में हमेशा बनी रहती है मांग

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