मंदसौर और रतलाम में मावठे की बारिश: किसानों की उपज भीगी

मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में शुक्रवार को सीजन की पहली मावठे की बारिश ने मौसम को सर्द बना दिया. मंदसौर, नीमच और रतलाम जिलों में अचानक हुई तेज बारिश और ओलावृष्टि से जहां किसानों को नुकसान हुआ, वहीं अफीम किसानों ने इसे अपनी फसलों के लिए अच्छा बताया है.

किसानों की फसलों को भारी नुकसान

शुक्रवार दोपहर को अचानक मौसम ने करवट ली। मंदसौर जिले के मल्हारगढ़, पीपलियामंडी, सीतामऊ, गरोठ और अन्य क्षेत्रों में तेज बारिश के साथ ओले गिरे। मंदसौर कृषि उपज मंडी में खुले में रखी लहसुन और अन्य फसलें भीग गईं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ।

तेज बारिश के मुख्य प्रभाव

  • मंडी में खुले में रखी फसलों पर पानी बह गया.
  • गीली फसल के कारण व्यापारियों ने उसे खरीदने से इनकार कर दिया.
  • लहसुन के ऊंचे दामों के बावजूद किसानों को नुकसान झेलना पड़ा.

रतलाम जिले से आए किसान ने बताया:
“सुबह हम मंडी में लहसुन लेकर पहुंचे थे। बारिश में भीगने के बाद व्यापारी फसल लेने को तैयार नहीं हैं। 25,000 रुपये क्विंटल के भाव पर बिकने वाला लहसुन अब बेकार हो गया।”

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ओले और बारिश ने ठंड बढ़ाई

मौसम विभाग ने तीन दिन पहले ही मावठे की बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी दी थी। शुक्रवार को तेज हवाओं के साथ बारिश शुरू हुई. कुछ ही देर में सड़कों पर पानी बहने लगा। गरोठ और अन्य क्षेत्रों में चने के आकार के ओले गिरे, जिससे फसलों पर और असर पड़ा.


अफीम किसानों के लिए राहत भरी खबर

जहां बारिश और ओले ने अधिकांश किसानों की चिंताएं बढ़ा दीं वहीं अफीम किसानों ने इसे राहत भरा बताया। उनका कहना है कि मावठे की यह बारिश उनकी फसलों के लिए अमृत जैसी है.

अफीम किसानों का क्या कहना :
“यह बारिश अफीम की फसल के लिए फायदेमंद है। जिन फसलों में अभी फल नहीं आए हैं, वे तेजी से बढ़ेंगी।”

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मंडी प्रशासन ने दी थी चेतावनी

मंदसौर कृषि उपज मंडी, जो देश की सबसे बड़ी लहसुन मंडियों में से एक है, में किसानों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा। प्रशासन ने बारिश की चेतावनी के बावजूद खुले में रखे माल को सुरक्षित करने की कोई व्यवस्था नहीं की।

मंडी प्रभारी सचिव ने कहा:
“हमने किसानों को समय पर अनाउंसमेंट के जरिए जानकारी दी, लेकिन कई किसानों ने फसल खुले में ही रखी।”


लहसुन के बढ़े दाम भी नहीं बने राहत

मौजूदा सीजन में लहसुन के दाम 12,000 से 30,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं, जो पिछले पांच सालों में सबसे अधिक हैं. इसके बावजूद बारिश में भीगने के कारण कई किसानों को फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाया।


मौसम और फसल प्रबंधन की जरूरत

इस मावठे की बारिश ने जहां ठंड में इजाफा किया, वहीं किसानों के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दीं। प्रशासन को भविष्य में ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए बेहतर प्रबंधन और संरक्षित व्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत है।

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