भारत ने नेपाल एक्सपोर्ट किया काला नमक चावल, जानिए पूरी जानकारी

काला नमक चावल ऐतिहासिक रूप से गौतम बुद्ध से जुड़ा हुआ है। इसलिए उन देशों में इसके एक्सपोर्ट की काफी संभावनाएं मौजूद हैं जहां बौद्ध धर्म के अनुयायी अधिक हैं।

पूर्वांचल में खेती की नई पहचान बनकर उभर रहे काला नमक चावल (Kala Namak Rice) का इस साल भी एक्सपोर्ट शुरू हो गया है। प्राचीन वैराइटी का यह चावल दाम, खासियत और स्वाद तीनों मामले में बासमती को मात देता है।

सिंगापुर के बाद रविवार को इसे नेपाल एक्सपोर्ट किया गया। उधर, सिद्धार्थ नगर में वाणिज्य उत्सव आयोजित करके इसके उत्पादक किसानों को इसकी जैविक खेती और वैराइटी के बारे में जानकारी दी गई।

इस साल 50 हजार हेक्टेयर में इसकी पैदावार हुई है, जिसमें से अकेले 11000 हेक्टेयर सिद्धार्थनगर में है।

काला नमक चावल को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाले कृषि वैज्ञानिक प्रो। रामचेत चौधरी ने बताया कि नेपाल ने 40 टन की मांग की थी लेकिन अभी वहां पर 10 टन काला नमक चावल ही एक्सपोर्ट (Export) किया गया है।

इससे पहले पिछले महीने सिंगापुर को 35 टन भेजा गया है। जबकि पिछले साल वहां सिर्फ 22 टन एक्सपोर्ट हुआ था। इस चावल में शुगर बहुत कम है और जिंक की अच्छी मात्रा है।

एक्सपोर्ट की काफी संभावना

यूनाइटेड नेशन के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) में चीफ टेक्निकल एडवाइजर रह चुके चौधरी ने कहा कि इस चावल में एक्सपोर्ट की अपार संभावनाएं हैं। क्योंकि यह ऐतिहासिक रूप में गौतम बुद्ध से जुड़ा हुआ है।

इसे म्यांमार, भूटान, श्रीलंका, जापान, ताइवान, कंबोडिया, थाइलैंड और सिंगापुर जैसे देशों में प्रमोट करने से काफी फायदा मिल सकता है, जहां बौद्ध धर्म के अनुयायी अधिक हैं।

इन जिलों की नई पहचान है काला नमक चावल

चौधरी ने बताया कि पूर्वांचल के 11 जिलों को इसका जियोग्राफिकल इंडीकेशन (GI) टैग मिला हुआ है। इनमें सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर, बस्ती, संत कबीरनगर, गोंडा, श्रावस्ती, देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर और महराजगंज शामिल हैं।

इनमें 2030 तक जीआई वैलिड है। जबकि इसे सिद्धार्थ नगर, गोरखपुर, महराजगंज, बस्ती और संतकरीबर नगर का एक जिला एक उत्पाद (ODOP) भी घोषित कर दिया गया है। यह इन जिलों की नई पहचान है।

किसानों के लिए कौन वैरायटी सही

चौधरी ने बताया कि वाणिज्य उत्सव में कुछ किसानों ने काला नमक धान की वैराइटी पर सवाल पूछे। उन्हें बताया कि काला नमक किरण की गुणवत्ता इसके पारंपरिक चावल की तरह है।

जिसकी पैदावार 22 क्विंटल प्रति एकड़ तक है। अगर कोई पुरानी वैरायटी की खेती करेगा तो उसकी पैदावार सिर्फ 10 क्विंटल प्रति एकड़ होगी। ऐसे में किसानों को खुद तय करना है कि उनके लिए क्या अच्छा है।

जैविक खेती से ज्यादा लाभ

कुछ किसानों ने काला नमक धान की जैविक खेती के बारे में जानकारी ली। चौधरी ने बताया कि इस वक्त सिद्धार्थनगर में 250 किसान 250 एकड़ में इसकी जैविक खेती (Organic farming) कर रहे हैं।

जैविक काला नमक का दाम 20 फीसदी ज्यादा है। इसलिए यह किसानों के लिए फायदे का सौदा है। लेकिन इसके लिए खेत में सारे इनपुट जैविक ही डालने होंगे। उसका सैंपल लिया जाएगा।

वो जैविक उत्पाद के पैमाने पर खरा उतरेगा तो सर्टिफिकेट मिल जाएगा।


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