ग्राफ्टिंग: एक पेड़ पर कैसे लगाएं कई फल, जानिए तकनीक और विधि

ग्राफ्टिंग तकनीक (Grafting technique): कुछ लोगों को घरों या गार्डेन में पौधों के साथ खेलने का शौक होता है, और वे अपने गार्डेनिंग प्रोजेक्ट्स को नर्सरी से लाए गए विभिन्न प्रकार के पौधों के साथ आगे बढ़ाने का आनंद लेते हैं। इस प्रवृत्ति के शौकीन व्यक्तियों के लिए, ग्राफ्टिंग तकनीक एक महत्वपूर्ण और उपयोगी प्रक्रिया हो सकती है। यह तकनीक केवल बागवानी में ही नहीं, बल्कि कृषि क्षेत्र में भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

ग्राफ्टिंग (Grafting) एक प्रकार की तकनीक है, जिसमें दो पौधों को संयुक्त करके एक नया पौधा विकसित किया जाता है, जो मूल पौधे की तुलना में अधिक उत्पादन कर सकता है। ग्राफ्टिंग विधि के माध्यम से तैयार किए गए पौधों की ख़ास बात यह है कि इसमें दोनों पौधों के गुण और विशेषताएं संजीवनी रहती हैं।

यह जाना जाता है कि ग्राफ्टिंग तकनीक (Grafting technique) का उपयोग विभिन्न प्रकार के पौधों के विकास के लिए किया जाता है, जैसे कि गुलाब, सेब, आम, जामुन, और संतरे आदि।

इसे पढे –बढ़ाएं मुनाफा: कम समय में तैयार होने वाली मटर की उन्नत किस्मों की खेती करें

ग्राफ्टिंग के प्रकार

  1. एप्रोच ग्राफ्टिंग (Approach grafting): इस तकनीक में एक पौधे के अप्रोच क्षेत्र में अन्य पौधे को जोड़कर नया पौधा बनाया जाता है।
  2. साइड ग्राफ्टिंग (Side grafting): इस ग्राफ्टिंग में पौधे की साइड पर दूसरे पौधे को जोड़कर नया पौधा उत्पन्न किया जाता है।
  3. स्प्लिस ग्राफ्टिंग (Splice grafting): इस तकनीक में दो पौधों के टुकड़ों को मिलाकर नया पौधा बनाया जाता है।
  4. सैडल ग्राफ्टिंग (Saddle grafting): इस ग्राफ्टिंग में पौधे की आकृति दिल की तरह होती है और दूसरे पौधे को इसके ऊपर से जोड़ा जाता है।
  5. फ्लैट ग्राफ्टिंग (Flat grafting): इस तकनीक में पौधों को सीधे रूप से एक साथ जोड़कर नया पौधा उत्पन्न किया जाता है।
  6. क्लेफ्ट ग्राफ्टिंग (Cleft grafting): इस ग्राफ्टिंग में पौधे को दो हिस्सों में बाँटकर दूसरे पौधे के बीच में नया पौधा जोड़ा जाता है।

ग्राफ्टिंग कैसे करें

घर के गार्डेन में पौधों की ग्राफ्टिंग करना बहुत ही सरल हो सकता है। यह तरीका न केवल सरल है, बल्कि ग्राफ्ट किए गए पौधे भी तेजी से विकसित हो सकते हैं। इस काम के लिए आपको जड़वाले पौधे, जिन्हें ‘रूट स्टॉक’ कहा जाता है, और ‘सायन’ या ‘कलम’ वाले पौधे की आवश्यकता होती है।

पहले, आपको रूट स्टॉक और सायन के सिरों को 1-5 इंच तक किसी चाकू से तिरछा काट देना है। इसके बाद, आपको सायन के तिरछे कटे भाग को रूट स्टॉक के तिरछे कटे भाग के ऊपर लगाना होता है। फिर, दोनों कटे भागों को आपस में जोड़कर एक टेप की मदद से बाँध देना है।

इसके बाद, रूट स्टॉक और सायन ऊतक आपस में जुड़ने लगते हैं, और पौधे की वृद्धि शुरू हो जाती है। इस तरीके से आप अपने पौधों को तैयार कर सकते हैं और अपने गार्डेन को खूबसूरत और सुंदर बना सकते हैं।

ग्राफ्टिंग के फायदे

  1. आसान विकास: ग्राफ्टिंग तकनीक का उपयोग करके हम फल और फूलों के पौधों को आसानी से विकसित कर सकते हैं.
  2. तेजी से फल-फूल: ग्राफ्टिंग से तैयार पौधों से करीब साल भर फूल या फल प्राप्त होते हैं, जो आपको जल्दी ही सजावट और फायदा पहुंचाते हैं.
  3. घर पर लगाया जा सकता है: ग्राफ्टिंग विधि से तैयार पौधों को आप आसानी से अपने गमले की मिट्टी में भी लगा सकते हैं, जिससे आपका गार्डेन और भी खूबसूरत बन सकता है.
  4. फल-फूल की तेजी: ग्राफ्टिंग करने से पौधों का आकार भले ही छोटा हो, लेकिन इनमें फल-फूल जल्दी लगने लगते हैं, जो आपके बाग़ में जल्दी फायदा पहुंचाते हैं.
  5. रोग प्रतिरोधक शक्ति: ग्राफ्टिंग करने से पौधों की रोग प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ जाती है, जिससे पौधों में रोग कम लग पाता है.
  6. कम देखभाल: ग्राफ्टेड पौधों की गुणवत्ता और विशेषता बीजों द्वारा लगाए गए पौधों से अच्छी होती है, इससे इनकी देखभाल की जरूरत भी कम होती है।

इसे पढे –आलू की खेती: बंपर कमाई के लिए किसान अपनाएं यह तरीका


"हम एक टीम हैं, जो आपके लिए अलग-अलग स्रोतों से मंडी भाव और कृषि समाचार एकत्रित कर आप सभी किसान भाइयों तक पहुँचाती है...."

Leave a Comment

Home Google News Mandi Bhav Join Group Web Stories