आज हम आपको कँगनी की खेती (Foxtail millet) के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपकी सेहत के लिए तो फायदेमंद है ही और जो किसान इस फ़सल की खेती करेगें वह लाखों का मुनाफा भी प्राप्त कर सकते है।
Foxtail millet in Hindi – कँगनी
“Foxtail millet को ही हिन्दी मे कंगनी कहते है“
कोरोना के बाद से सभी लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंतित हो गए हैं, ओर अपने स्वास्थ्य का बहुत ज्यादा ध्यान रखने लगे हैं। खान – पीन के लिए पौष्टिक चीजों का उपयोग करने लगे हैं, कंगनी एक ऐसी फसल है, जिसमें बहुत से गुण पाए जाते हैं, इसलिए किसान बाजार की मांगों के अनुसार कंगनी की खेती करने लगे हैं।
इसलिए आज हम आपको कँगनी की फसल की सम्पूर्ण जानकारी देंगे और जानेंगे की कँगनी क्या है, (what is foxtail millet), इसकी खेती केसे की जाती है, इसके सेवन से क्या फायदे मिलते है, इस लिए पोस्ट को पूरा अंत तक पढे ….
कँगनी मे कौन से पौष्टिक गुण है – foxtail millet nutrition
कंगनी की फ़सल पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती हैं, जो की पहाड़ी क्षेत्रों की एक पारंपरिक फसल है, इसमें कई पौष्टिक गुण पाए जाते हैं, जैसे की….
- विटामिन B1, B2, B3,
- बीटा कैरोटीन, पोटेशियम,
- एल्कलॉइड, फेनोलिक्स,
- टॉनिन्स, फलवोनॉइड्स,
- क्लोरीन और जिंक
इनके साथ – साथ इसमें आयरन और कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं, जो हड्डियों को ताकतवर बनाते हैं।
कँगनी के सेवन से क्या फायदे है – foxtail millet benefits
यदि आप बहुत अधिक मोटे हैं, ओर आपको अपने शरीर का वजन कम करना है, तो आप इसका उपयोग कर सकते है, ओर यदि आपको नर्वस सिस्टम से जुड़ी कोई समस्या है, तो भी आप कंगनी का सेवन करे यह बहुत फायदेमंद होता है।
जो लोगों मधुमेह जैसी बिमारी के रोगी है, तो उनको कंगनी का सेवन रोज करना चाहिए, इससे बहुत लाभ होता है।
इसके अलावा कंगनी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो कि कैंसर से लड़ने में बहुत ही सहायक होते है। इसमें सभी गुण होने के कारण बाजार में इसकी मांग बहुत ज्यादा रहती है, इसीलिए इसकी खेती करने से अधिक मुनाफा प्राप्त होता हैं।
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कंगनी के लिए खेत कैसे होना चाहिए
जिस भूमि पर आप कंगनी की खेती करेंगे उसकी मिट्टी को हल की सहायता से एक बार पलट लेना है या फिर हैरो की सहायता से मिट्टी को 1 या 2 बार जोत लेना चाहिए। यदि आप इसकी खेती ऊंचे नीचे खेतों में करेंगे तो इससे आपका ही नुकसान होगा ।
इसके बाद यदि इसमें दीमक लग जाती है, तो दीमक को हटाने के लिए दीमक नियंत्रण का उपयोग करना चाहिए। परन्तु जुताई के तुरन्त बाद ही उस पर पाटा चला देना चाहिए, जिससे हमारी भूमि भुरभुरी और समतल हो जाए।
कंगनी का बीज उपचार कैसे करे ?
इसके हल्के बीजों को निकालने के लिए आप 2 प्रतिशत नमक के घोल में इसको डाल देंगे फिर उसके बीजों को अच्छी तरह से हिला लें, जो बीज पानी में ऊपर आ जाएंगे उनको आपको निकाल देना हैं, और जो बीज नीचे रह गए हैं, उनको साफ पानी से धोकर सुखा लेना है। जिसे आपके बीज अच्छे रहे खराब ना हो।
इसके बाद कवक जनित रोगों के लिए 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50 WP से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित कर लेंगे।
कंगनी को बोने का समय
कंगनी फसल बोने का समय जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के बीच तक होता हैं, खेत में तब तक पर्याप्त नमी बनी होती है।
इसके बीज की बात करें तो बीजों की संख्या 8 से 10 किलोग्राम प्रति हैक्टर के हिसाब से उपयोग करना चाहिए। यदि आप ज्यादा मात्रा में बीज बोयेंगे तो इससे आपकी फ़सल बढ़ेगी नहीं बल्कि खराब हो जाएगी।
कंगनी को बोने का तरीका
इसके बीजों को खेतों में छिड़क कर या फिर बिखेरकर बोना चाहिए, यदि आप इसके बीजों को किसी दूसरे माध्यम से बोते हैं, तो आप की फसल खराब भी हो सकती है, इसलिए आपको जो तरीका बताया गया है, उसी से बोनी करें।
परन्तु अधिक उत्पादन के लिए इसकी फसलों को 25 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में बोना चाहिए, ओर बीज को लगभग 3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए, ताकि फसल की अच्छी पैदावार हो।
कंगनी की फसल मे सिंचाई की व्यवस्था
यदि आप छोटे अनाज की फसल को बारिश के समय बोते है, तो पानी से संबंधित सभी जरुरते बारिश से ही पूरी हो जाती हैं।
यदि आपको अच्छी पैदावार चाहिए तो आपके खेत में पानी को निकालने के लिए उचित व्यवस्था होना चाहिए। जिससे की पानी को आसानी से निकला जा सकें और आपकी फसल को कोई भी हानि ना पहुंचे।
इसके बाद समतल खेतों के बीच में 40-45 मीटर की दूरी पर गहरी नालियां बना देनी चाहिए, जिससे बारिश का जो अधिक पानी है, वो नालियों के माध्यम से खेत से बाहर निकल जाए।
निराई और गुड़ाई
यदि आपको कंगनी के अनाज का उत्पादन अधिक चाहिए तो इसको बोने के 30 से 40 दिन बाद इसकी एक बार निराई-गुड़ाई और छंटाई अच्छे से करना जरूरी होता है।
जिससे की फसल अच्छी तरह से लगी रहे और कंगनी के पौधों (foxtail millet plant) को कोई नुकसान ना हो। यदि आप इसकी छटाई नहीं करेंगे इसको साफ नहीं करेंगे तो आपकी फसल खराब भी हो सकती है।
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