आज हम इस पोस्ट मे जानेंगे की सोयाबीन की खेती को ज्यादा मुनाफा देने वाली खेती कैसे बनाए, सोयाबीन सबसे अच्छी किस्म कौन-कौन सी है, इसके प्रमुख रोग कौन कौन से है, इसकी बुआई का क्या समय है, तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई की जानकारी तो आइए जानते है, सोयाबीन की खेती की विस्तार से जानकारी –
सोयाबीन बुआई का समय
खरीफ के समय में
- बुआई का समय – 15 जून से 15 जुलाई के बीच
- फसल अवधि – 90 से 145 दिन
तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई
सोयाबीन की फसल बुवाई से 10 दिन पहले 1 एकड़ खेत में 8 टन गोबर की खाद और 2.5 किलोग्राम ट्रिकोडेर्मा को खेत में डालकर जुताई कर दे । जुताई के बाद खेत की पलेवा करे । पलेवा के 5 से 6 दिन बाद खेत की 3 बार अच्छे से जुताई करके पट्टा फेर दे ।
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सोयाबीन की उन्नत किस्में ( Varieties of Soybean )
- जेएस -2029 – अवधि 90 से 95 दिन यह किस्म 90 से 95 दिन में पककर तैयार हो जाती है । इसकी पैदावार 12 क्विं …. एकड़ है ।
- SI -958 अवधि 135 से 140 दिन यह सोयाबीन की 140 दिन की किस्म है इसकी पैदावार 7 से 7.5 क्विंटल / एकड़ है ।
- जेएस -9305 – अवधि 90 से 110 दिन यह किस्म तना गलन , फली और कली के झुलस रोग की प्रतिरोधक किस्म है । इसके बीज हरे पीले रंग के होते हैं । इसकी औसतन पैदावार 10-12 क्विंटल प्रति एकड़ होती है ।
- Pusa -16 – अवधि 110 से 115 दिन यह किस्म पूरे यू पी में उगाने के लिए उपयुक्त है । यह 110-115 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है । इसकी औसतन पैदावार 10-14 क्विंटल प्रति एकड़ होती है ।
- जेएस -2034 – अवधि 87 से 88 दिन इस किस्म का उत्पादन 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है । किस्म पीला विषाणु रोग , चारकोल राट , पत्ती धब्बा , बेक्टेरिययल पशचूल पत्ती धब्बा एवं कीट प्रतिरोधी है । यह किस्म कम वर्षा में उपयोगी
- RVS 2001-4 – अवधि 92 से 95 दिन राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में जारी किया गया है । सेमीडिटर्मिनेट ( अर्द्धपरिमित ) सीधा फैलाव वाला पौधा का रंग ब्राउन ( भूरा ) , फूलो का रंग सफ़ेद होता है । फसल की अवधि लगभग 92-95 दिन होती है। तेल की मात्रा 21.5 प्रतिशत । प्रोटीन 42 प्रतिशत , एवं औसतन उत्पादन 25 क्विंटल प्रति हेक्टर , और मजबूत जड़ तंत्र होने से जड़ सड़न , एवं पीला मोजक रोग , फलिया रोयेदार होने से गर्डल बीटल , सेमीलूपर आदि के लिए सहनशील है
- जे एस 20-69 – अवधि 93 से 95 दिन यह किस्म 93-95 दिनों में परिपक्व , उच्च पैदावार ( 25-28 क्विंटल / हेक्टेयर ) , रोगों के लिए एकाधिक प्रतिरोधी । झड़ने एवं गिरने की समस्या नहीं देखी गई ।
- एनआरसी -86 ( अहिल्या 6 ) – अवधि 95 से 97 दिन हल्की हरी रंग की पत्ती और दो शाखाएं रहेगी । सफेद रंग का फूल होगा । हल्का पीला रंग का बीज होता है । पौधों की ऊंचाई 75-80 सेमी की है । 1000 दाने का वजन 13 ग्राम – का होता । 95-97 दिन में फसल पककर तैयार हो जाती है । औसत उत्पादन क्षमता 22-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ।
- एनआरसी 37 ( अहिल्या 4 ) – अवधि 99 से 105 दिन यह किस्म 99 से 105 दिन में पककर तैयार हो जाती है । दाना पीला और फूल सफेद रहता है । इसमें भूरी नाभिका , तना मक्खी एवं लीफ माइनर के लिए मध्यम प्रतिरोधक किस्म है । फफूंद जनित बीमारी एवं रसचूसक कीट का प्रकोप कम । होता है । उत्पादन औसत उत्पादन क्षमता 35-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ।
सोयाबीन की खेती मे बीज की मात्रा
सोयाबीन की फसल में बीज की मात्रा दानों के आकार के अनुसार की जाती है । छोटे आकार के दाने वाली किस्मे : 24-26 किलोग्राम प्रति एकड़ । मध्यम आकार के दाने वाली किस्मे : 28-30 किलोग्राम प्रति एकड़ 1 बड़े आकार के दाने वाली किस्मे : 32-34 किलोग्राम प्रति एकड़ ।
सोयाबीन का बीज उपचार
सोयाबीन की फसल को बीज तथा मृदा जनित रोग प्रभावित करते हैं । इनकी रोकथाम हेतु बीज को पेन्फ्लूफैन 13.28 % w / w + ट्राईफ्लोक्सिस्ट्रोबिन 13.28 % w / w ( एवरगोल एक्सटेंड ) 1 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें ।
फफूंदनाशक से उपचारित करने के बाद बीज को इमिडाक्लोप्रीड 48 % एसएफ ( गौचो ) 1.25 मिली प्रति किलोग्राम बीज या थायोमिथॉक्साम 30 % एसएफ 10 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें ।
फफूंदनाशक एवं कीटनाशक दवाओं से बीजोपचार के पश्चात बीज को 5 ग्राम राइजोबियम एवं 5 ग्राम पीएसबी कल्चर प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें ।
उपचारित बीज को छाया में रखना चाहिये एवं शीघ्र बोनी करना चाहिये । धयान रहे कि बीजउपचार में सबसे पहले बीज को फफूंनाशक दवा से उपचारित करें इसके बाद कीटनाशक दवा से एवं आरि जीवाणु कल्चर से उपचारित करें ।
सोयाबीन की खेती मे बुआई का तरीका
बीज को बोने के समय अच्छे अंकुरण के लिए भूमि में 10 सेमी गहराई तक नमी होना चाहिये।
जुलाई के प्रथम सप्ताह के पश्चात् बोनी की बीज दर 5-10 प्रतिशत बढ़ा देना चाहिये।
सोयाबीन की लाइन से लाइन की दूरी 30 से.मी. ( बोनी किस्मों के लिये ) तथा 45 से.मी. बड़ी किस्मों के लिये रखें । 20 कतारों के बाद जल निकास के लिये खाली छोड़ देना चाहिये ।
बीज को 3 से.मी. गहराई पर बोयें।
उर्वरक व खाद प्रबंधन – सोयाबीन की खेती
बुवाई के समय
सोयाबीन की अच्छी उपज के लिए खाद एवं उर्वरकों का उपयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करें। अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 10 टन प्रति एकड़ डाले, तथा बुआई के समय 50 किलोग्राम DAP, 25 किलोग्राम मयूरेट ऑफ पोटाश एवं 8 किलोग्राम सल्फर प्रति एकड़ उर्वरक एवं बीज को आपस मे नहीं मिलाएं ।
जिंक की कमी वाली मिट्टी में जिंक सल्फेट 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से 3 वर्ष में एक बार उपयोग करना चाहिये।
- बुवाई के 45 से 50 दिन बाद सोयाबीन की फसल बुवाई के 45 से 50 दिन बाद 1 एकड़ खेत में 2 किलोग्राम NPK 0:52:34 को 100 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करे ।
- बुवाई के 70 से 75 दिन बाद फसल बुवाई के 70 दिन बाद फसल में अच्छी वृद्धि और अच्छी उपज के लिए यूरिया 3 किलो को प्रति 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करे ।
सोयाबीन की खेती मे सिंचाई
सोयाबीन की फसल को सिंचाई की ज्यादा आवश्यकता नहीं है, फसल में फलियों में दाना भरते समय यदि खेत में नमी पर्याप्त न हो तो हलकी सिंचाई करे ।
फसल की कटाई
सोयाबीन की फसल किस्मो के अनुसार 100 से 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है ।
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Sir new soibean ki barathai batiye mp ke liye