गेहूं की खेती भारत के ज्यादातर किसानों की आजीविका का प्रमुख आधार है। अच्छी फसल उत्पादन और क्वालिटी प्राप्त करने के लिए सही तकनीक, पोषण, और रोग प्रबंधन का होना बहुत जरूरी है। ICAR-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने किसानों के लिए वैज्ञानिक और व्यावहारिक सुझाव जारी किए हैं, जो फसल का उत्पादन बढ़ाने में मदद करेंगे।
इस लेख में, हम गेहूं की फसल के लिए उर्वरता, छिड़काव, और रोग नियंत्रण के लिए वैज्ञानिक विधियों पर चर्चा करेंगे।
गेहूं की फसल में उच्च उपज के लिए छिड़काव तकनीक अपनाये
गेहूं की बुआई और पोषण प्रबंधन से उपज बढ़ाई जा सकती है। ICAR के अनुसार, जल्दी बोई गई फसल के लिए क्लोरमेक्वेट क्लोराइड (50% एसएल) और टेबुकोनाजोल (25.9% ईसी) के मिश्रण का छिड़काव बहुत लाभकारी है।
छिड़काव विधि और समय
- समय: फसल की पहली नोड अवस्था (50-55 दिन बाद)।
- मिश्रण:
- क्लोरमेक्वेट क्लोराइड (50% एसएल) – 0.2%।
- टेबुकोनाजोल (25.9% ईसी) – 0.1%।
- पानी की मात्रा: 160 लीटर प्रति एकड़।
इस विधि से फसल की वृद्धि में सुधार होता है और रोगों से बचाव होता है।
पीले रतुआ रोग से सुरक्षा करे
पीले रतुआ गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचाने वाला रोग है। इसकी पहचान और नियंत्रण समय पर करना जरूरी है।
कैसे करें निगरानी और बचाव?
- फसल का नियमित निरीक्षण करें।
- अगर पत्तियों पर पीले धब्बे दिखें, तो तुरंत कृषि विशेषज्ञ की सलाह लें।
- संक्रमण रोकने के लिए उचित कवकनाशक का उपयोग करें।
पीलापन आने पर क्या करें?
- पीलापन दिखने पर नाइट्रोजन (यूरिया) का संतुलित उपयोग करें।
- कोहरे या बादल वाले मौसम में नाइट्रोजन के प्रयोग से बचें।
उपयुक्त किस्म का चयन करे
फसल की सफलता में सही किस्म का चयन महत्वपूर्ण है। किसानों को अपने क्षेत्र और मिट्टी के अनुसार सही किस्म का चयन करना चाहिए।
क्या ध्यान रखें?
- देर से बुआई के लिए विशेष किस्मों का उपयोग करें।
- अन्य क्षेत्रों की किस्मों से बचें, क्योंकि वे रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती हैं।
सिंचाई और पोषण का सही प्रबंधन करे
सिंचाई और पोषण संतुलन फसल को मजबूत बनाता है। सही समय पर सिंचाई और उर्वरक का उपयोग फसल की उपज बढ़ाने में सहायक होता है।
सिंचाई के सुझाव
- पानी की बचत के लिए विवेकपूर्ण सिंचाई करें।
- बारिश की संभावना होने पर सिंचाई से बचें।
उर्वरक का सही उपयोग
- संरक्षण खेती में सिंचाई से पहले यूरिया का टॉप ड्रेसिंग करें।
- मिट्टी की पोषण आवश्यकताओं के अनुसार उर्वरक का उपयोग करें।
फसल अवशेषों का प्रबंधन
फसल अवशेषों को जलाने के बजाय, उन्हें मिट्टी में मिलाएं। यह पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में सहायक होता है।
प्रबंधन के तरीके
- अवशेषों के साथ बुआई के लिए हैप्पी सीडर या स्मार्ट सीडर का उपयोग करें।
- जलाने से बचें, क्योंकि यह पर्यावरण और मिट्टी दोनों को नुकसान पहुंचाता है।
गेहूं की फसल में उच्च उपज के सामान्य सुझाव
- मिट्टी का परीक्षण करें और जरूरत के अनुसार उर्वरक का उपयोग करें।
- खरपतवार को समय पर हटाएं।
- कवकनाशक और शाकनाशक का संतुलित उपयोग करें।
- फसल का नियमित निरीक्षण करें।
गेहूं की फसल में गुणवत्ता और उपज बढ़ाने के फायदे
- अधिक उत्पादन: उन्नत तकनीकों के उपयोग से उपज में वृद्धि होती है।
- बेहतर गुणवत्ता: सही पोषण और रोग प्रबंधन से उच्च गुणवत्ता का अनाज प्राप्त होता है।
- आर्थिक लाभ: उत्पादन बढ़ने से किसानों की आय में सुधार होता है।
- पर्यावरण संरक्षण: सही प्रथाओं के उपयोग से पर्यावरण और मिट्टी की सुरक्षा होती है।
सवाल-जवाब (FAQs)
गेहूं की फसल में उच्च उपज के लिए कौन से उत्पाद का उपयोग करें?
क्लोरमेक्वेट क्लोराइड और टेबुकोनाजोल का मिश्रण उपयुक्त है।
पीले रतुआ रोग से बचाव कैसे करें?
नियमित निरीक्षण करें और कवकनाशकों का उपयोग करें।
फसल अवशेष जलाना क्यों नहीं चाहिए?
यह मिट्टी और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। अवशेषों को मिट्टी में मिलाना बेहतर है।
सिंचाई में क्या सावधानी बरतें?
बारिश की संभावना हो तो सिंचाई से बचें और विवेकपूर्ण तरीके से पानी का उपयोग करें।