गोबर की खाद बनाने का तरीका बड़ी सरल और किसानों के लिए सहज है। इसको बनाने से किसान अपनी खेती की लागत को कम कर सकता है। सरकार ने जैविक एवं प्राकृतिक खेती (गोबर की खाद)को बढ़ावा दिया है क्योंकि रासायनिक खादों का ज्यादा प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती है।
गोबर खाद जिसे “फार्म यार्ड मैन्योर” भी कहा जाता है। यह पशुओं के गोबर, मूत्र, छोड़ा हुआ तूडा आदि के सही गलने और सड़ने से बनती है इसे खेती की लागत कम करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसका तैयार होना बिना किसी खर्चे के होता है।
गोबर की खाद बनाने की विधि
गोबर खाद सस्ती होती है और मिट्टी में बहुत सारे महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करती है। इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर के साथ ही छोटे पोषक तत्व भी होते हैं जैसे कि आयरन, मैंगनीज, कॉपर, और जिंक, जो पौधों के विकास के लिए आवश्यक होते हैं।
गोबर खाद भी मिट्टी की जल धारण क्षमता को बढ़ाती है।
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किसान कैसे बनाएँ गोबर खाद?
- गोबर की खाद बनाने में पशु मूत्र का प्रयोग बहुत ही कम होता है।
- पशु मूत्र में नाइट्रोजन और पोटेशियम की मात्रा होती है, जो खेती के लिए फायदेमंद होती है।
- यूरिया के रूप में उपलब्ध नाइट्रोजन पौधों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
- पशु मूत्र से यूरिया को हवा में उड़ने से बचाने के लिए, किसानों को ट्रेंच या गड्डा बनाना चाहिए।
- ट्रेंच की लंबाई को लगभग 6-7 मीटर, चौड़ाई को 1.5-2.0 मीटर, और गहराई को 1 मीटर तक रखना चाहिए।
- पशु मूत्र को सोखने के लिए तुड़ा, मिट्टी आदि को पशु मूत्र पर डालना चाहिए। अगले दिन इस मिश्रण को गोबर सहित ट्रेंच या गड्डे में डाल देना चाहिए।
- ऐसा रोजाना करते रहें जब यह भाग भूमि तल से 45 से 60 सेंटीमीटर ऊँचा हो जाये तो इस गोलाकार करके गाय के गोबर और मिट्टी के घोल से लीप दें।
- किसान ठीक इसी तरह एक गड्डा भर जाने के बाद दूसरा गड्डा बनाये और यही प्रक्रिया को दोहराएँ। इस तरह गोबर की खाद 4 से 5 महीने में बनकर तैयार हो जाएगी।
- यदि किसान पशु मूत्र को पहले नहीं डाल पाएं हो तो वो किसान सीमेंट से बने गड्डे में बाद में भी मूत्र को मिला सकते हैं।
- मूत्र व यूरिया को बेकार जाने से रोकने के लिए इसमें रासायनिक परिरक्षक जैसे जिप्सम और सुपर फास्फेट मिला सकते हैं। इन्हें शेड के नीचे डाला जाता है।
किसान फसलों में कब डालें गोबर खाद
- गोबर खाद को तैयार करने के बाद, उसे तुड़ाई से 3-4 हफ्ते पहले खेत में डाल देना चाहिए।
- खाद की बची हुई मात्रा को बुआई से पहले ही खेत में छिड़कना चाहिए।
- सामान्यतः, प्रति हेक्टेयर 10 से 20 टन गोबर की खाद डाली जाती है।
- चारा फसलों और सब्जियों के लिए 20 टन से अधिक खाद की जरूरत होती है।
- आलू, टमाटर, शकरकंद, गाजर, मूली, प्याज आदि फसलों में गोबर की खाद से पैदावार बढ़ती है।
- गन्ना, धान, नेपियर घास, संतरा, केला, आम, नारियल आदि फलदार पौधों के लिए गोबर खाद बहुत फायदेमंद होती है।
- गोबर की खाद से नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटेशियम तुरंत नहीं मिलते हैं, लेकिन इससे पहली फसल को 30% नाइट्रोजन, 60-70% फॉस्फोरस, और 70% पोटेशियम मिल जाते हैं।
- इसके साथ ही, गोबर की खाद से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में धीरे-धीरे सुधार होता है, जिससे रासायनिक खादों की आवश्यकता कम होती है और खेती के खर्चे में कमी आती है।
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