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बढ़ाएं मुनाफा: कम समय में तैयार होने वाली मटर की उन्नत किस्मों की खेती करें

देश के कई राज्यों में मटर की खेती (Pea Farming) बड़े पैमाने पर की जाती है, और मटर का उपयोग सब्ज़ी के साथ-साथ दलहन के रूप में भी होता है। इसका अगेती और पिछेती किस्मों के आधार पर किया जाता है, और इसकी खेती समय पर मुनाफा देने के कारण इसका प्रचलन बढ़ रहा है। मटर एक दलहनी फसल है, और खेती के लिए समय का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।

अगेती मटर की खेती (Pea Farming) के लिए, बुआई सितम्बर महीने के अंत से अक्टूबर के पहले हफ्ते तक की जाती है, जबकि पिछेती मटर की बुआई नवम्बर महीने के अंत तक की जा सकती है। मटर की खेती (Pea Farming) के लिए दोमट और हल्की दोमट मृदा दोनों ही उपयुक्त होते हैं, और किसान उन्नत प्रजातिओं की बुआई सितंबर के अंत से लेकर अक्टूबर के मध्य तक कर सकते हैं।

मटर की इन किस्मों की विशेषता यह है कि वे सभी 50 से 60 दिनों में पूरी तरह से तैयार हो जाती हैं, जिससे खेत तेजी से खाली हो जाता है, और किसान दूसरी फसलों की बुआई के लिए तैयार होते हैं।

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अगेती मटर की उन्नत किस्में कौन सी होती हैं?

इस सवाल का उत्तर बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग जलवायु और भूमि की शर्तों के आधार पर विभिन्न प्रकार की मटर की किस्में विकसित की जाती हैं। इन किस्मों में विशेष ध्यान दिया जाता है क्योंकि वे ज्यादा पैदावार करने के साथ-साथ रोगों के खिलाफ भी सुरक्षित रहती हैं, जिससे किसानों को फसल की लागत कम करने में मदद मिलती है।

अगेती मटर की उपयुक्त किस्में कुछ प्रमुख नाम हैं जैसे कि आजाद मटर, काशी नंदिनी, काशी मुक्ति, काशी उदय, काशी अगेती, पूसा प्रगति, पूसा श्री, पंत मटर-3, और अर्किल। किसान अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुसार इन किस्मों में से किसी का चयन करके मटर की खेती कर सकते हैं। इससे वे अधिक पैदावार हासिल कर सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

मटर की बुआई के लिए निम्नलिखित कदम अपनाएं:

  1. बीज की ज़रूरत: प्रति हेक्टेयर 80 से 100 किलोग्राम मटर के बीज (pea seeds) की आवश्यकता होती है।
  2. रोग प्रतिरोध: मटर के बीजों (pea seeds) को मैंकोजेब (3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) या थीरम (2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) से उपचारित करें, ताकि वे बीजजनित रोगों से सुरक्षित रहें।
  3. रोपने की दूरी: अगेती मटर के लिए पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे की दूरी को 30*6-8 सेंटीमीटर रखें, जो बेहद महत्वपूर्ण है।
  4. खेत की तैयारी: खेत की तैयारी के समय प्रति हेक्टेयर 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद का उपयोग करें, और इसके साथ 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फ़ॉस्फ़ोरस, और 50 किलोग्राम पोटाश का उपयोग करें।

इन उपायों का पालन करके, आप मटर की बुआई को सफलता से कर सकते हैं और अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

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