तना छेदक कीट नियंत्रण – किसान भाइयो सोयाबीन की फसल अब 25 से 30 दिन की हो गई है, इस दौरान तना छेदक किट रोग की बहुत ही अधिक संभावना है, इस पोस्ट मे हम जानेंगे की सोयाबीन की खेती में कीट नियंत्रण कैसे करें ।
किसान भाईयो सोयाबीन की अच्छी पैदावार के लिए किट रोग का नियंत्रण करना बहुत ही जरूरी है, सोयाबीन बोने के बाद खरपतवार नियंत्रण तो जरूरी है, ही इसके के साथ-साथ कीट का नियंत्रण भी बेहद जरूरी है, अब यहाँ किसानों के लिए सबसे बड़ा प्रश्न यह होता है, कि कौन सी कीटनाशक दवाई का छिड़काव करना सोयाबीन की फसल के लिए लाभदायक होगा ।
तना छेदक कीट के बारे मे जानकारी
सोयाबीन मे तना छेदक कीट का वैज्ञानिक नाम डेक्टीस टेकसान्स है, यह कीट सोयाबीन की फसल को बहुत अधिक मात्र मे क्षति पहुंचाते हैं। सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्में इस कीट से ज्यादा प्रभावित होती है।
किसान भाइयो आपको बता दे की – इस कीट के लार्वा तने के बीच में सुंरग बना कर तने को खा लेता है, यह किट सोयाबीन की फसल पकने की अवस्था में पौधों को तल से भी काटते है।
तना छेदक कीट की रोकथाम के लिए क्या करे
सोयाबीन की फसल में तना छेदक कीट प्रारंभिक अवस्था में इससे प्रकोपित पौधे मर जाते हैं, बीज पत्रों में प्रकोप के कारण टेड़ी- मेढ़ी लकीरे बनती है।
इल्ली पट्टी के शिरे से डंठल को अन्दर से खातें हुए तने में प्रवेश करती है, कीट प्रकोप से प्रारंभिक वृद्धि अवस्था (दो से तिन पत्ती ) में 20 – 30% पौधे प्रकोपित होते है।
इल्ली का प्रकोप फसल कटाई तक होता है, फसल में कीट प्रकोप से 25 – 30 % उपज की हानि होती है, इस कीट के नियंत्रण के लिए लैम्ब्डा – साइहलोथ्रिन 04.90% सी.एस. 120 मि॰ली॰ को 200 लीटर पानी के साथ प्रति एकड़ छिड़काव करें।
- सोयाबीन की खेती मे खरपतवार का उचित नियंत्रण करें।
- खेत से किट द्वारा क्षतिग्रस्त पौधे को उखाड़कर नष्ट करें खेत से बाहर फेक देवे ।
- गर्मी के समय में खेत की गहरी जुताई करें ।
- सोयाबीन की रोग प्रतिरोधक किस्में जैसे H.R.M.S.O. 1564 का उपयोग करें ।
- पर्याप्त मानसून के बाद ही बोनी करना चाहिए।
- उपयुक्त बीज दर ही प्रयोग मे लाये उनका ही उपयोग करे ।
- बहुत अधिक मात्र मे नाईट्रोजन उर्वरकों का उपयोग नहीं करें ।
- पोटॉश खाद का जरूरत से उपयोग न करे मात्र निश्चित होना चाहिए, अगर मिट्टी में पोटॉश की कमी हो तो ही डाले ।
- जैविक नियंत्रण के लिए मकड़ी, छिपकली, मकोड़े, चिड्डे, आदि का बचाव करना चाहिए ।
- सोयाबीन को अन्तर्रवत्तिय फसलें जैसे जल्दी पकने वाली, अरहर, या मक्का या ज्वार 4:2 के अनुपात में लगाए
रसायनिक कीटनाशकों से तना छेदक कीट नियंत्रण
रसायनिक कीटनाशकों से तना छेदक कीट का नियंत्रण करने के लिए मोनोक्रोटोफोस 36 एस. एल. 800 मि.लि/हे की दर से छिड़काव करें या फिर क्वीनॉलफोस 25 एम.सी. 1000 मि.लि./हे की दर से 600-800 लीटर पानी में छिड़काव करें ।
एक बात का धन रहे किसान भाइयो रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग उस समय करना चाहिए जब कीट की संख्या आर्थिक स्तर पर हो।
सोयाबीन के प्रमुख कीट एवं उनके लिए कीटनाशक
नीला भृंग :- कीटनाशक- क्विनालफॉस 25 ई.सी. (1500 मिली/हेक्टे.)
तना मक्खी : – कीटनाशक- थायमिथोक्सम 30 एफएस से बीजोपचार (10 मिली / किग्रा बीज),लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.9 सीएस (300 मिली / हेक्टेयर), पूर्व मिश्रित लैम्बडा सायहेलोथ्रिन + थायमिथोक्सम (125 मिली/हेक्टेयर)।
सफेद मक्खी :- कीटनाशक- थायमिथोक्सम 30 एफ.एस.(10 मि.ली. / कि.ग्रा. बीज), इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ.एस.(1.25 मि.ली. / कि.ग्रा. बीज), बीटासायफ्लुथ्रिन 8.49+ इमिडाक्लोप्रिड 19.81% ओड़ी (350 मि.ली. / हेक्टेयर)।
पत्ती खाने वाली इल्लियां (सेमिलूपर, तंबाकू की इल्ली, चने की इल्ली)
- कीटनाशक- क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी (100 मि.ली. / हेक्टे.),
- इन्डोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मि.ली. / हेक्टे.),
- प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. (1250 मि.ली. / हेक्टे.),
- क्विनालफॉस 25 ई.सी. (1500 मि.ली. / हेक्टे),
- ट्रायझोफॉस 40 ई.सी. (800 मि.ली. / हेक्टे),
- स्पायनेटोरम 11.7 एस. सी (450 मि.ली. / हेक्टे.),
- बीटासायफ्लुथ्रिन 8.49% + इमिडाक्लोप्रिड 19.81% ओडी (350 मि.ली. / हेक्टे.),
- फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली. / हेक्टे.),
- फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यू. जी. (250-300 मि.ली. / हेक्टे.),
- लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.9 सी. एस. (300 मि.ली. / हेक्टे.),
- पूर्व मिश्रित लैम्बडा सायहेलोथ्रिन थायमिथोक्सम (125 मि.ली. / हेक्टे.)।
गर्डल बीटल
- कीटनाशक- थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी.(750 ली. / हेक्टे.),
- प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी.(1250 मि.ली. / हेक्टे),
- ट्रायझोफॉस 40 ई.सी. (800 मि.ली. / हेक्टे),
- बीटासायफ्लुथ्रिन 8.49+इमिडाक्लोप्रिड 19.81% ओडी (350 मि.ली. / हेक्टेयर),
- पूर्व मिश्रित लैम्बडा सायहेलोथ्रिन + थायमिथोक्सम (125 मि.ली. / हेक्टेयर)।
चने की इल्ली
- कीटनाशक- प्रोफेनोफॉस 50 E.C. (1250 मि.ली. / हेक्टे),
- क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 S.C. (100 मि.ली. / हेक्टे.),
- इंडोक्साकार्ब 15.8 S.C.(333 मि.ली. / हेक्टे.)।
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