रतलाम जिले में किसानों की रुचि अब धीरे – धीरे जैविक खेती (Organic farming) की और बढ़ रही है। परंपरागत तरीके से होने वाली खेती के नए तरीके से किसान अब दूर हो रहे है। इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि जिले में अब तक 1600 से अधिक नए किसानों ने इसके लिए रुचि दिखाई है। जैविक खेती करने के मामले में प्रदेश में रतलाम का नंबर पांचवे स्थान पर है ।
जिले में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने रुचि दिखाई है। इसके लिए कृषि विभाग के साथ मिलकर मप्र प्राकृतिक कृषि पद्धति बोर्ड के साथ मिलकर मदद किसानों को दिलाई जा रही है।
जिले में ही 1657 नए किसानों ने जैविक खेती के लिए अपनी रुचि दिखाई है। ये वो किसान है जो अब तक विभिन्न तरह के केमिकल का उपयोग करके खेती कर रहे थे। इससे इनकी भूमि की उर्वरा शक्ति पर असर हुआ व जितनी मेहनत कर रहे थे, उसके मुकाबले उत्पादन कम होने लगा । इसके बाद ही इन्होंने जैविक खेती के प्रति रुचि दिखाई।
कृषि विभाग के अनुसार उनका लक्ष्य है कि – जिले को जैविक खेती के मामले में प्रदेश में पांचवे से पहले नंबर पर जाए।
किसानों को अब देंगे प्रशिक्षण – Organic farming
बताया गया है कि – जिन किसानों ने जैविक खेती में रुचि दिखाई है, अब उनको इसके लिए प्रशिक्षण इसी माह से दिया जाएगा । इसके लिए प्राकृतिक खेती में किसान बीजामृत, जीवामृत, धनजीवामृत, गौमूत्र, देशी गाय का गोबर, नीमास्त्र, ब्रहास्त्र, शतपर्णीअर्क, दशवर्णीअर्क का उपयोग करके उपज की गुणवत्ता, मिट्टी की दशा सुधार के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
यह है जिले में विभाग का लक्ष्य
जिले में कृषि विभाग ने इस मानसून के पूर्व तक 2043 किसानों को जैविक खेती की और लाने का लक्ष्य लिया है । इसके मुकाबले अब तक 1657 किसानों ने अपनी रुचि दिखाई है। ऐसे में जिले में 2333.09 हेक्टेयर भूमि पर अतिरिक्त रुप से जैविक खेती होगी ।
फिलहाल 5 हजार से कुछ अधिक किसान जैविक खेती कर रहे है । जैविक खेती का सबसे बड़ा लाभ यह है कि – अन्य खेती की तरह भूजल का अधिक दोहन नहीं होता है। मिट्टी को बगैर प्रदूषित किए खेती से आने वाली फसले भी जहरीली नहीं होती है।
जैविक खेती इन बीमारी से बचाती है
जैविक से उगा अन्न पोषण से भरा हुआ, स्वास्थ्यवर्धक, पर्यावरण को बचाने वाला, मौसम परिवर्तन में भी सुरक्षित रहता है ।
जैविक खेती के मुकाबले रासायनीक खेती से होने वाली बीमारी जैसे मधुमेह, हदय रोग, कैंसर, अस्थि, सांस की समस्या, तंत्रिका रोग, चर्म रोग, प्रजजन से जुड़ी समस्या नहीं होती है ।
इन फसलों की हो रही जैविक खेती
उड़द, मसूर, तुवर, सब्जियां, गेहूं, लहसुन, छोला चना, मेथी दाना, सोयाबीन, मंूग, उड़द, जामफल, प्याज, लहसुन, सोयाबीन, चना, मुंगफली, मक्का, पपीता, केला, सब्जियां आदि का उत्पादन किसाल जैविक खेती से कर रहे है।
रतलाम जिले का नंबर जैविक खेती करने के मामले में प्रदेश में पांचवा है। यह नंबर एक पर आए, इसके लिए प्रयासरत है। जिन किसानों ने जैविक खेती के प्रति रुचि दिखाई है, उनको विशेष रुप से प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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सोर्स – पत्रिका